Thursday 20 February 2014

आज शाम का ध्यान : Bhav Chakra / Hriday chakra -10

गद्य , पद्य , कथा , ग्रन्थ , विवेचनाएं .... कितना भी लिखो पढ़ो धर्म और अधर्म पे कम है , ये संसार असार है। ज्यादा विद्वता कि स्थापना में लोग तार्किक होने लगते है। कोई लाभ नहीं तर्क में उतरने का , सच फिर भी वो ही है। 


मन चंचल है , दिमाग तर्क से भरा , कोई भी एक सिरा किसी भी इक्छा का यदि पकड़ना चाहा , तो दूसरा झट करके प्रभाव बिखेरने लगता है। ये सम्भव ही नहीं कि सिर्फ अच्छा अच्छा ही आपकी झोली में गिरे , ये जीवन इक्छाओं से नहीं कर्मो से चलता है , और कर्म का स्रोत विचार , सिर्फ एक ही उपाय है , विचारों को विदा होने दो , विचार मूल कारण है इक्छाओं के बीजारोपण का जो दिमाग से चल कर ह्रदय में स्थित भावनाओं तक को जकड लेता है। 

सिर्फ और सिर्फ वास्तविक ध्यान ( जादूई या रंगबिरंगा चमकीला नहीं ) ही आपकी अंतर यात्रा में आपकी मदद कर सकता है। 

और वास्तव में , गुरु जन जिनको अनुभव हुआ यही कहते है , " वहाँ कुछ नहीं है , तुम्हारा जो भी है वो तुमसे ले लिए जायेगा, " ,  निर्भार होने की सिर्फ यही एक स्थिति है। 



आईये इसी सद्भाव के साथ , आज शाम का ध्यान शुरू करते है …………

जो है बोझ सब उस परम को सौंप दे , वो ही संभालेगा , अच्छा भी उसका और बुरा भी सब उसका , 

निःस्वार्थ भाव से आप एक दम शांत हो जाएँ। .............



दिए हुए लिंक का संगीत प्रारम्भ करें 


(तिब्बतन बाउल्स तथा घंटियों की ध्वनियां अत्यंत शांति देने वाली है। इसकी कुल अवधि ११ घंटे ३ मिनट ३३ सेकंड है )

अपना स्थान ग्रहण करें 

अपनी इक्छा अनुसार बैठे या लेटे

गहरी गहरी साँसे लें 

ह्रदय पे अपना सम्पूर्ण ध्यान ले जाए , ये आपका भावस्थान है , भाव चक्र यही से आंदोलित होता है और संतुलन भी यही से आता है ...................

साँसों को सहज हो जाने दे 

हल्की हो जाने दें 

अब आपकी साँसे हल्की हो रही है .................

डूब जाएँ 

तैरने दे स्वयं को 

किसी तरह की कोई रोक नहीं 

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जब तक इक्छा हो इस स्थिति में रहे 

वापिस आने के लिए स्वयं को तैयार करे 

आहिस्ता आहिस्ता 

साँसों पे ध्यान देते हुए 

अपनी स्तिथि में वापिस आये 

आहिस्ता से अपने आस पास के वातावरण से समायोजित करें 

आँखों को आहिस्ता से दोनों हथेली से छुए

और सजग हो जाये 

ध्यान के इस अनुभव को अपने ह्रदय में ही सम्भाले अगली ध्यान कि अवस्था में ये ही आपको थोडा और आगे ले जायेगा। 
    ॐ प्रणाम

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