Monday 3 March 2014

अनादिकाल से प्रतीक्षा :mirdad

सूर्य, चन्द्र, और तारे अनादिकाल से प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उन्हें देखा, सुना और समझा जाये; धरती की लिपि प्रतीक्षा कर रही है कि उसे पढ़ा जाये; आकाश के राजपथ, कि उन पर यात्रा की जाये, समय का उलझा हुआ धागा, कि उसमे पड़ी गांठों को खोला जाये, 



ब्रह्माण्ड की सुगंध, कि उसे सूँघा जाये; पीड़ा के कब्रिस्तान, कि उन्हें मिटा दिया जाये ; मौत की गुफा, कि उसे ध्वस्त किया जाये; ज्ञान की रोटी, कि उसे चखा जाये; और मनुष्य पर्दों में छिपा परमात्मा, प्रतीक्षा कर रहा है कि उसे अनावृत किया जाये । 


Mirdad

No comments:

Post a Comment