Sunday 6 April 2014

इतने सरल और सहज रास्ते में भी भटकाव है क्या ! (thought)

देखो >> अपना ज्ञान पथ , साक्षी भाव जगाओ , प्रकति से एक लयता बनाओ, 

और फिर सीधी छलांग लगाओ , किसी के जैसे न होके , तुम ..... " तुम " हो जाओ , 


बस यही है सम्पूर्ण कथा . उसकी और उसको छूने की। 


जो भी जागे उन सभी ने यही रास्ता अपनाया। 


अबके तुम्हारी बारी !! 

ॐ ॐ ॐ




इतने सरल और सहज रास्ते में भी भटकाव है क्या ? अगर अब भी भटकन है तो वो

सिर्फ अपने मस्तिस्क की है , तुम्हारी इस क्लिष्ट , दुरूह भाषा शैली के बीच भटकन 


से उसका क्या सम्बन्ध ! इसीलिए आध्यात्मिकता का अनुभव अपने आपमें एक 


अट्टहास है ....


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