Thursday 17 April 2014

खगोलीय नृत्य ; सूफी भंवर

सम्पूर्ण जीवन भी एक घेरे जैसा है जो मध्य के छोटे छोटे घेरोंसे भरा पड़ा है , ये घेरे भी अत्यंत सूक्ष्म बिन्दुओं से भरे हुए है , यही जीवन है , और इन घेरे में गति है ये सब अपनी अपनी धुरी पे घूम रहे है , सौरमंडल और हमारे बिलकुल नक्षत्रो की तरह , अपनी अपनी धुरी पे बिंदु से लेकर छोटे घेरे और विस्तृत फैला हुआ एक जीवन का सम्पूर्ण घेरा भी है जो पांच तत्वों से लेकर हमारी ऊर्जा / आत्मा में निहित है , ( इस गतिशील नृत्य को जीवित बहते गुजरते घटनाक्रम के रूप में देखें तो आपको जीवन का ये संगीतमय नृत्य सहज समझ आएगा ) और एक एक जीवन करके एक साथ जुटे समुदाय का अपना घेरा है और इसी प्रकार सभी जीवन के साथ संयुक्त रूप से सम्पूर्ण पृथ्वी परिक्रमा करती है , इसी में थोड़ा और ऊपर चले तो ब्रह्माण्ड भी अपनी परिक्रमा में .... अपनी मस्तानी चाल में .. व्यस्त है।

अनुभव कहता है की जीवन में कई कई बार ऐसे चलायमान गतिशील क्षण आते है जब सूक्ष्म बिंदु से लेकर हर घेरा सक्रिय हो जाता है आत्मिक भी और शारीरिक भी और अंतर कर पाना कठिन हो जाता है की कौन सा घेरा में जीवन घूम रहा है , कभी कभी शांत गति के साथ ये आसान और स्वयं दिखता है। जब ये जीव अति चलायमान स्थति में घुमावदार परिस्थति में फंसा होता है चूंकि वो उस गति और घुमाव के लिए तैयारी में नहीं होता , उलझ जाता है।

इसी स्थिति को समझने के लिए प्रथम * पुनरावलोकन की चर्चा पिछली पोस्ट में की थी , दूसरा * संय्यम और तीसरा * ध्यान यदि साधना आपको आ गया है तो आप सजह पार हो सकते है।

क्यूंकि ये गति है ... इनका दूसरा नाम " चाल " भी है , इसलिए इन स्थान , भाव और परिणाम मे परिवर्तन होता ही रहता है , कोई भी परिस्थिति स्थिर नहीं ....... हो ही नहीं सकती , इसी कारण ये नारा भी लोगो को सहज समझ आता है.... " अच्छे दिन आने वाले है " ..... इसको आप भी कंठस्थ अपने लिए कर सकते है।

आपने ये भी सुना होगा अक्सर भाग्यवादी लोग कहते मिलते है , जब भी कोई बढ़ी दुर्घटना घट जाती है , सारे एक भाग्य वाले व्यक्ति एक साथ इस वाहन या नाव या फिर हवाई जहाज या ट्रैन में सवार थे और एक साथ ही चले गए। ये भी एक तरह की नक्षत्रीय चाल है , जिसको अबूझ रहस्य के रूप में समझा गया , जिसकी भी समझ नहीं आई उसको जादू का नाम दे दिया।

प्रकृति में सारी घटनाये , व्यवस्थाये अपनी चाल के अनुसार घटित हो रही है। आप भी और हम भी उसी में घूम रहे है , अद्भुत है ये जीवन के छोटे छोटे दैनिक जीवन के सिलसिलों से लेकर घेरो का सिलसिला सम्पूर्ण जीवन में छाया हुआ एक विशाल घेरे को भी निर्देश नक्षत्रो से मिल रहे है , ये नक्षत्र भी कही अपनी धुरी से निर्देशित है , और हमारी जीवन यात्रा भी इसी विशाल अर्थ का रहस्योद्घाटन सा कर रही है। । हमारे शरीर का एक एक सेल घूम रहा है उसका भी जीवन है , उन सेल से मिलकर बना हमारा शरीर पदार्थ घूम रहा है , हमारी ऊर्जा घूम रही है , समस्त ऊर्जा घूम रही है। 



Photo: खगोलीय नृत्य ; सूफी भंवर :
-----------------------------

सम्पूर्ण जीवन भी  एक घेरे   जैसा है जो मध्य के  छोटे छोटे  घेरोंसे भरा पड़ा है  , ये घेरे भी अत्यंत सूक्ष्म बिन्दुओं से भरे हुए है , यही जीवन है ,  और इन  घेरे  में गति  है  ये सब  अपनी  अपनी  धुरी पे  घूम रहे है , सौरमंडल  और  हमारे  बिलकुल नक्षत्रो की तरह ,  अपनी  अपनी धुरी पे  बिंदु से लेकर  छोटे घेरे और विस्तृत फैला हुआ एक  जीवन का सम्पूर्ण घेरा भी है जो  पांच तत्वों से लेकर हमारी ऊर्जा / आत्मा  में निहित है , ( इस गतिशील नृत्य  को जीवित  बहते  गुजरते  घटनाक्रम के रूप में देखें तो आपको  जीवन का  ये संगीतमय नृत्य सहज समझ आएगा ) और एक एक जीवन  करके  एक साथ जुटे  समुदाय  का अपना घेरा है  और  इसी प्रकार सभी जीवन के साथ  संयुक्त रूप से  सम्पूर्ण पृथ्वी परिक्रमा करती है , इसी में थोड़ा और ऊपर चले तो ब्रह्माण्ड भी अपनी परिक्रमा में .... अपनी मस्तानी  चाल में .. व्यस्त है। 

अनुभव कहता है की जीवन में  कई कई बार ऐसे  चलायमान गतिशील क्षण आते है  जब सूक्ष्म बिंदु से लेकर  हर घेरा सक्रिय हो जाता  है  आत्मिक भी और शारीरिक भी और  अंतर कर पाना  कठिन हो जाता है की कौन सा घेरा  में जीवन  घूम रहा है , कभी कभी शांत गति के साथ  ये आसान  और  स्वयं  दिखता  है। जब ये  जीव अति चलायमान स्थति में   घुमावदार परिस्थति में  फंसा होता है चूंकि  वो उस गति और घुमाव के लिए   तैयारी में नहीं होता , उलझ जाता है।  

इसी स्थिति को समझने के लिए प्रथम * पुनरावलोकन की  चर्चा  पिछली पोस्ट में की थी ,   दूसरा * संय्यम और तीसरा * ध्यान  यदि साधना आपको आ गया  है तो आप सजह पार हो सकते है।  

क्यूंकि ये गति है   ...   इनका दूसरा नाम " चाल " भी है ,  इसलिए  इन स्थान , भाव  और परिणाम  मे परिवर्तन होता ही रहता है ,  कोई भी परिस्थिति स्थिर नहीं .......  हो ही नहीं सकती , इसी कारण ये नारा भी लोगो को सहज समझ  आता है.... " अच्छे दिन आने वाले है " .....  इसको आप भी  कंठस्थ अपने लिए कर सकते है।  

आपने ये भी सुना होगा अक्सर  भाग्यवादी लोग कहते  मिलते है , जब भी कोई बढ़ी दुर्घटना घट जाती है , सारे  एक भाग्य वाले  व्यक्ति  एक साथ  इस वाहन  या नाव  या फिर हवाई   जहाज  या  ट्रैन  में सवार थे  और एक साथ ही चले गए।  ये भी एक तरह की  नक्षत्रीय  चाल है , जिसको अबूझ  रहस्य के रूप में समझा गया , जिसकी भी समझ नहीं आई  उसको जादू का नाम दे दिया।  

प्रकृति में सारी घटनाये , व्यवस्थाये  अपनी चाल के अनुसार घटित हो रही है।   आप भी और हम भी उसी में  घूम रहे है ,  अद्भुत है  ये  जीवन  के छोटे छोटे  दैनिक  जीवन के सिलसिलों से लेकर  घेरो का सिलसिला सम्पूर्ण जीवन में छाया हुआ  एक विशाल घेरे  को  भी निर्देश  नक्षत्रो से मिल रहे है , ये नक्षत्र भी कही अपनी धुरी से निर्देशित है ,  और हमारी जीवन यात्रा भी  इसी विशाल अर्थ का रहस्योद्घाटन सा कर रही है। । हमारे शरीर  का एक एक सेल  घूम रहा है  उसका भी जीवन है , उन सेल से मिलकर बना हमारा शरीर पदार्थ   घूम रहा है ,  हमारी ऊर्जा घूम रही है , समस्त  ऊर्जा घूम रही है।  

कभी आपने  यंत्रवत एक ही धुरी पे घूमने का आनंद लिया है ?  एक बालक जैसे प्रसन्न होता है  बिना कारन आपको भी वो ही प्रसन्नता  मिलेगी , याद कीजिये  , अपनी  बाल्यावस्था !  फिर से दोहराइए , घूमिये एक ही जगह पे ......इसी घुमणि नृत्य का दूसरा  नाम सूफी  घुमाव भी है , जो सिर्फ इशारा है  उस बृहत् घुमाव का।  

और इस नोट का  उद्देश्य  यही की  आप इस घुमाव को  सहज स्वीकार करे ,  समर्पण के साथ  इसकी भव्यता को समझे। 

ॐ ॐ ॐ
कभी आपने यंत्रवत एक ही धुरी पे घूमने का आनंद लिया है ? एक बालक जैसे प्रसन्न होता है बिना कारन आपको भी वो ही प्रसन्नता मिलेगी , याद कीजिये , अपनी बाल्यावस्था ! फिर से दोहराइए , घूमिये एक ही जगह पे ......इसी घुमणि नृत्य का दूसरा नाम सूफी घुमाव भी है , जो सिर्फ इशारा है उस बृहत् घुमाव का। 


और इस नोट का उद्देश्य यही की आप इस घुमाव को सहज स्वीकार करे , समर्पण के साथ इसकी भव्यता को समझे। 



No comments:

Post a Comment