Thursday 23 January 2014

एकात्मता ध्यान - ध्यान २ - Note

जिंदगी हर वक्त सिर्फ कुछ पाने या खोने का ही या फिर लगातार रोजमर्रा की भागमभाग का नाम नहीं , कुछ देर सुस्ताते हुए जो उपलब्ध है ईश्वर से उसके लिए धन्यवाद देना और चैन की सांस लेना , और कुछ स्वयं के लिए सोचने का भी नाम है। सारे सांसारिक कर्त्तव्य प्रेम पूर्वक निभाते हुए कुछ पिछला भूलने वाला भूलते हुए और कुछ आगे के लिए योजना ना बनाते हुए थोड़ी देर सिर्फ इस पल में ; सिर्फ कही गहरे में स्वयं के लिए जीना भी जिंदगी का खुशनुमा चेहरा है। 

" पांच मिनट के लिए , अपने लिए एक स्वक्छ ऐक्छिक स्थान पे शांत हो के बैठना थोड़ी देर.... इस पल में जीना ...और .... जो भी है उसके प्रति परम के प्रति आभार से भरके ,आठ दस गहरी गहरी साँसे लेना , और हर सांस जो अंदर जा रही है वो नव-जीवन है .... ऐसा महसूस करते हुए ...... अपने आस पास के मनोरम वातावरण के प्रति कृतार्थ हो के उठना .... फिर पहले जो भी जीव-जंतु या वृक्ष पुष्प जो भी मिले उस से एकाकार होना औरउनके प्रति संवेदनशीलता से भरना। फिर अपने दैनिक कार्य में संलग्न हो जाना।"




ये छोटे-छोटे प्रयोग आपको संसार के हर कण से

जोड़ते है , आप इनका ही हिस्सा बन जाते है और


फिर करुणा तथा अद्भुत संवेदनशीलता का जन्म 


स्वतः हो जाता है। 

ॐ शांति शांति शांति

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