Thursday 30 January 2014

अपने अकेलेपन में आनंद लेना ही ध्यान है। - Osho vichar

अपने अकेलेपन में आनंद लेना ही ध्यान है।

ध्यानी वह है जो अपने अकेले होने में गहरा उतरता है, यह जानते हुए कि हम अकेले पैदा होते हैं, हम अकेले मरेंगे, और गहरे में हम अकेले जी रहे हैं।

तो क्यों नहीं इसे अनुभव करें कि यह अकेलापन है क्या? यह हमारा आत्यंतिक स्वभाव है, हमारा अपना होना।

हम अकेले पैदा होते हैं, हम अकेले मरते हैं। इन दो वास्तविकताओं के बीच हम साथ होने के हजारों भ्रम पैदा करते हैं--सभी तरह के रिश्ते, दोस्त और दुश्मन, प्रेम और नफरत, देश, वर्ग, धर्म।

एक तथ्य कि हम अकेले हैं को टालने के लिए हम सभी तरह की कल्पनाएं पैदा करते हैं।

लेकिन जो कुछ भी हम करते हैं, सत्य बदल नहीं सकता। वह ऐसा ही है, और उससे भागने की जगह, श्रेष्ठ ढंग यह है कि इसका आनंद लें।

- Osho~










शुभेक्क्षा , असीम शुभकामनाये 

ॐ प्रणाम

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