Tuesday 28 January 2014

तरंगो के आंदोलन के लिए - note

बात नामों की नहीं है फिर वो चाहे मीरदाद हो , कबीर हो , मीरा हो , बुध्ह हो , भूरि देवी हो , ओशो हो , या के नामों की श्रंखला में आज के जाग्रत गुरु जग्गी वासुदेव , मूंजी आदि ... !

परन्तु आपके लिए विभिन्न शरीरो से फैलती हुई सोच एक ही है ५ तत्व अलग है पर तरंगे एक और इस राह में सबका स्वागत ये सभी ऊर्जाएं हमेशा करती है अपनी निशानिया दिखाते हुए कि आप सही राह पे हो ..... .....

* इतना सरल भेद है की इनमे कोई भेद नहीं ...

* इस राह में यही है कि जो भी चला , ये रास्ता देखने में सन्नाटे से भरा लगता है , ऐसा लगता है कि इन राहो मे कोई नहीं चला और हर अध्यात्मिक इस राह पे अकेला चल रहा है .... बाह्य रूप से ऐसा लगता है की अध्यात्मिक व्यक्ति अपने में डूबता चला जा रहा है पर है विपरीत , अध्यात्मिक व्यक्ति का जीवन संकेतो का जीवन है तरंगों का जीवन है और ये संकेत उसको उसकी राह में बिखरे हुए मिलते है जो तरंगित हो के जो सन्देश देते है कि उसकी राह उचित है , और ये तरंगे ही उसकी साथी है शक्ति है।

* उसको वही_वही निशानिया मिलती चलती है जो कभी मीरदाद को मिली थी बुध्ह को मिली थी और यही उस के पथ की पहचान भी है कि उसका रास्ता सही है .

* और इसीलिए ध्यान देने वाली सांकेतिक बात है कि ऐसे बुध्ह पुरुष जिस राह पे भी चलते है सब सुगन्धित हो जाता है , और उनकी उपस्थिति मात्र से ही पुष्प खिलने लगते है। 




ॐ प्रणा

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