Friday, 14 February 2014

छोटे से पोखर में चाँद उतर रहा है ;स्वागत है - Note

सौ प्रतिशत अनुभव की बात है , मेरा जीवन इसलिए नहीं बदलेगा कि मेरे सामने बैठा व्यक्ति वो मित्र है गुरु है या अभिभावक है वो जो भी नाम का सम्बन्ध हो कितना सुलझा हुआ है या कि ज्ञानी है। मेरे जीवन कि उलझी गुत्थियां तब सुलझेंगी , जब मैं चाहूंगा अपने अंदर उस बदलाव को प्रवेश देना। वे सिर्फ सलाह ही दे सकते है। तौलना , परखना और कसौटी पे स्वयं को रखना हमारे ऊपर ही है।


और सच कहूं तो ये इक्षा शक्ति भी शायद कहीं और से आती है , प्रकृति परिस्थितियां बनाती है , और मानव प्रेरणाये के साथ प्रकर्ति ही परम की इक्षा से जीवन के अवसर देती है।


" अस्तित्व में न कुछ ऊँचा है, न कुछ नीचा है, न कोई महात्मा है, न कोई हीनात्मा है...

विभाजित करके देखने वाली दृष्टि ही समस्या के मूल में है...

अन्यथा जीवन में कोई समस्या है ही नहीं,

बस भिन्न भिन्न स्थितियां हैं...-Anant Sri

जैसा कि कई ऐसे लोगो ने ये अनुभव बांटा है जो स्वयं इसी राह में चल रहे है कि वास्तव में कुछ भरने जैसा है ही नहीं , खाली होते जाना है , और एक दिन वो पूर्ण भी उतर आएगा आपके ह्रदय में, क्यूंकि आपका ह्रदय भी सम्पूर्ण है और पूर्ण के लिए उपुक्त ।

प्रिय को निमंत्रण दिया है तो स्वागत हेतु सुंदर स्वक्छ स्थान तो बनाना ही पड़ेगा। 
















ध्यान दीजियेगा , ये सब कृत्य भाव स्तर पे है , तरंगों का सौंदर्य है , छोटे से पोखर में चाँद उतर रहा है , सौंदर्य वर्णन शब्दातीत है , कैसे वर्णन हो , बस भाव ही भाव का साथ देंगे , चूँकि सम्पूर्ण यात्रा ही भाव की है , समझ की है , सत्य को ह्रदय में समेटने का प्रयास है , लौकिकता से इसका कोई मेल नहीं। फिर चाहे मूर्ति रूप ही क्यूँ न हो !!

ॐ प्रणाम

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