Priyam Bharatam, a poem by Shri Chandrabhanu Tripathi
Lyrics in Sanskrit/ Phonetic / हिंदी :
प्रकृत्या सुरम्यं विशालं प्रकामम्
मनोहर विशाल फैली हई प्रकृति
मनोहर विशाल फैली हई प्रकृति
सरित्तारहारैः ललालं निकामम्
उफनती नदियों के हार लुभावने श्रृंगार है
हिमाद्रिः ललाटे पदे चैव सिन्धुः
बर्फ के पहाड़ जिसके मस्तक पे और चरणों में सागर
उफनती नदियों के हार लुभावने श्रृंगार है
हिमाद्रिः ललाटे पदे चैव सिन्धुः
बर्फ के पहाड़ जिसके मस्तक पे और चरणों में सागर
प्रियं भारतं तत् सर्वथा दर्शनीयम्
ऐसा प्रिय भारत और उसका दर्शन सदैव योग्य है
ऐसा प्रिय भारत और उसका दर्शन सदैव योग्य है
prakṛtyā suramyaṃ viśālaṃ prakāmam
sarittārahāraiḥ lalālaṃ nikāmam
himādriḥ lalāṭe pade caiva sindhuḥ
priyaṃ bhārataṃ sarvathā darśanīyam
धनानां निधानं धरायां प्रधानम्
सार्वभौमिकता में धनवान धरती में प्रधान
सार्वभौमिकता में धनवान धरती में प्रधान
इदं भारतं देवलोकेन तुल्यम्
ये भारत देवलोक के समकक्ष है
ये भारत देवलोक के समकक्ष है
यशो यस्य शुभ्रं विदेशेषु गीतम्
जिसकी ख्याति उज्जवल है विदेश में भी गायन है
जिसकी ख्याति उज्जवल है विदेश में भी गायन है
प्रियं भारतं तत् सदा पूजनीयम्
ऐसा प्रिय भारत की सदा पुज्य्नीय है
ऐसा प्रिय भारत की सदा पुज्य्नीय है
dhanānāṃ nidhānaṃ dharāyāṃ pradhānam
idaṃ bhārataṃ devalokena tulyam
yaśo yasya śubhraṃ videśeṣu gītam
priyaṃ bhārataṃ tat sadā pūjanīyam
अनेके प्रदेशा अनेके च वेषाः
जहाँ अनेक प्रदेश अनेक वेशभूषा
जहाँ अनेक प्रदेश अनेक वेशभूषा
अनेकानि रूपाणि भाषा अनेकाः
अनेक रूप और अनेक भाषा हैं
अनेक रूप और अनेक भाषा हैं
परं यत्र सर्वे वयं भारतीयाः
पर जहाँ सभी हम भारतीय है
पर जहाँ सभी हम भारतीय है
प्रियं भारतं तत् सदा रक्षणीयम्
ऐसे प्रिय भारत की सदा रक्षा करेंगे
ऐसे प्रिय भारत की सदा रक्षा करेंगे
aneke pradeśā aneke ca veṣāḥ
anekāni rūpāṇi bhāṣā anekāḥ
paraṃ yatra sarve vayaṃ bhāratīyāḥ
priyaṃ bhārataṃ tat sadā rakṣaṇīyam
सुधीरा जना यत्र युद्धेषु वीराः
धैर्यवान व्यक्ति हैं जहाँ और युद्ध में वीर हैं
धैर्यवान व्यक्ति हैं जहाँ और युद्ध में वीर हैं
शरीरार्पणेनापि रक्षन्ति देशम्
शरीर का दान देके भी देश की रक्षा में तत्पर
शरीर का दान देके भी देश की रक्षा में तत्पर
स्वधर्मानुरक्ताः सुशीलाश्च नार्यः
स्वधर्म में श्रेष्ठ अनुरक्त (डूबी) और सुशील स्त्रियां
स्वधर्म में श्रेष्ठ अनुरक्त (डूबी) और सुशील स्त्रियां
प्रियं भारतं तत् सदा श्लाघनीयम्
ऐसा प्रिय भारत सदा प्रशंसनीय है
ऐसा प्रिय भारत सदा प्रशंसनीय है
sudhīrā janā yatra yuddheṣu vīrāḥ
śarīrārpaṇenāpi rakṣanti deśam
svadharmānuraktāḥ suśīlāśca nāryaḥ
priyaṃ bhārataṃ tat sadā ślāghanīyam
वयं भारतीयाः स्वभूमिं नमामः
हम भारतीय अपनी भूमि को नमन करते है
हम भारतीय अपनी भूमि को नमन करते है
परं धर्ममेकं सदा मानयामः
सदा एक परमधर्म को मानेंगे
सदा एक परमधर्म को मानेंगे
यदर्थं धनं जीवनं चार्पयामः
जिसके लिए धन जीवन का अर्पण करेंगे
जिसके लिए धन जीवन का अर्पण करेंगे
प्रियं भारतं तत् सदा वन्दनीयम्
ऐसे प्रिय भारत की सदा वंदना करेंगे
ऐसे प्रिय भारत की सदा वंदना करेंगे
bhāratīyāḥ svabhūmiṃ namāmaḥ
paraṃ dharmamekaṃ sadā mānayāmaḥ
yadarthaṃ dhanaṃ jīvanaṃ cārpayāmaḥ
priyaṃ bhārataṃ tat sadā vandanīyam
हिंदी अनुवादिका - लता तिवारी
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English Translation:
Naturally lovely
Very delightful
Carrying to our rivers and stars
Charming and beautiful
On her forehead, the Himalaya mountain
At her feet, the sea
Beloved India, always beautiful
A receptacle of wealth, ever-flowing
This India, equal with paradise
Whose fame, shining, a song among foreign lands
Beloved India, always to be worshiped
Many regions Many apparels
Many forms Many languages
Where we all are Indians
Beloved India, always to be protected
Where the people are wise, heroes in battles
Offering their bodies, They protect the country,
Where the People are of good conduct, fond of their own duty (dharma)
Beloved India, always to be praised
We bow to the land, to India,
The one supreme dharma, we always esteem,
For which we offer our wealth, our life,
Beloved India, always to be respected
Beautiful song it deserves to be our national anthem
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