Saturday, 1 March 2014

Possible God ( english / Hindi ) - ( Note )

God is not so much Impossible as  it is presumed ,  Only  with true love  thy may surrender  and open  all possibilities for you , thy is  merged  everywhere , just close your eyes , lord  resides  Inner cave . If one can not able to see , to whom fault ?  only purity in feels , intoxication are of thy only  knowledge is thee's  love is also  of thee ., from any effort and word you may start , your way is towards thy only .... 

it is  saying :  any thread you can  hold , hold that fairly  and firmly , because you have to pass extreme of that thread , but it is taking towards your true destination , that is sure  . Intoxication is also  one of thread , who understand proper to hold , they  know how to live  with all balance . Because intoxication there is hidden  thread of  God's love , this  maze for  one .  Rumi has same Intoxication  and Meera also .. they were  out of the world ,  just groggy  its looks like  Shiva itself gives grog with love  from their  hands only . 

all emotions  directed towards thy  Only , one path ,  one stair  to move upward ...  only you have to do , leave  one by one  all  attachments , a small  work ;  is it difficult ? 

Om Pranam 



ईश्वर इतने दुर्लभ भी नहीं कि असम्भव मान लिया जाए , मात्र प्रेम के भाव से सुलभ है . क्यूँ भावनाओ के व्यापार ने ईश्वर को इतना दुर्लभ बना दिया ! जब की वो सर्व व्यापी और सर्व सुलभ हैं अब अपनी ही आँखे बंद हो तो कोई क्या करे ? सिर्फ शुध्ह भाव , नशा भी उसका , संज्ञान भी उसका , प्रेम भी उसका , कोई शब्द से चलो उस तक ही चलना है , चाहे जान के या के अनजाने उसी राह की पे चलना है

कहते है एक सूत्र , सिर्फ एक सूत्र उस तक पहुंचा सकता है , बस उस सूत्र की अत्ति से गुजरना ही है हर सूत्र उसी से बंधा है , वही तक यात्रा है। नशा भी ऐसा ही सूत्र है , जिसको पकड़ने कि और जीने कि कला यदि है तो वो भी खुदा तक ले जा सकता है , क्यूंकि नशे के सूत्र में ही ईश्वर प्रेम के सूत्र का नशा भी छिपा हुआ है , अगर पकड़ में आये तो ! रूमी को ऐसा ही नशा था , मीरा को भी यही नशा था , एक दम धुत्त मस्त उसके नशे में जैसे शिव शंभो ने साक्षात् भंग का प्रसाद दिया हो , अपने हाथों से।

सारे भाव उसी राह पे है एक ही सीढ़ी है , एक ही डगर , करना सिर्फ ये है एक एक करके छोड़ते जाना है बस इत्ता छोटा सा काम , कठिन है क्या ? 


ॐ प्रणाम

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