Saturday, 1 March 2014

Note - And If nature is with you , the ritual has to be completed ( till than be wise be safe ) / (english and hindi ) :

My Humble surrender to the frequencies , which invite me , which gives me opportunity to explore new dimensions , which talks me without boundary of time and distances . as flowing as air water and light in my surroundings . which gives me all material make easy available to me which one they think i am in need and my frequencies friends are indeed make possible to me .

Besides of this i do not know physical hierarchy of any person In my life as these frequencies . Under hierarchy ; only can make Institutions or Govt. to administration well , but bot Spiritualism can take place in Hearts . it works and stimulate under frequencies matches .

I believe if your Surrender is true , nature will help you , and if nature is ready to help , who will can stop you ? Frequencies will available for you , they will talk you , they will tell you everything whatever you want to talk with them . and all is like time travel .. nothing is magic , just happening , energies are here only . with us . they also feel good to share right knowledge . they also keen to remove time dust of their creations . 





उन सभी तरंगो के प्रति मेरा विनम्र समपर्ण जो मुझे आमंत्रित करती है , जो मुझे सुअवसर देती है नए आयामो को खोजने का , जो मुझसे समय सीमा से परे स्थानिक दूरी से परे बात कर सकती है जो मेरे चारों तरफ हवा पानी और प्रकाश सामान व्याप्त है , जो मुझे वो सब (व्यक्ति पुस्तक अथवा चित्र ) उपलब्ध कराती है जिस की भी वो जरुरत समझती है मेरे विकास कि दिशा में आवश्यक है।

इन तरंगो के अतिरिक्त मैं किसी को भी शारीरिक रूपसे इतना सक्षम नहीं मान सकती। जो सम्पूर्ण आस्था प्रेम और विश्वास का हक़दार होसके। पंचतत्व कभी भी पूर्णरूप से सत्य नहीं हो सकते, मानवीय जनम के कारन मानवीय गुण दोष तो रहेंगे ही , थोड़े कम या थोड़े ज्यादा। पदानुक्रम केवल संस्थाओं में काम करते है या फिर सरकार में जहा शासन चलना पड़ता है , अध्यात्म और आध्यात्मिकता में नहीं , यहाँ तो सिर्फ तरंगो के सम्मिलन और आंदोलन से काम चलता है और जब प्रकृति आपके साथ हो तो अनुष्ठान तो पूरा होना ही है

मेरा विश्वास है यदि समर्पण उचित हो शुध्ह हो तो सम्पूर्ण प्रकृति साथ देती है , तरंगे आपकी सहयता करती है , आपसे बात करती है , ये सब अनुभव कुछ कुछ समय - यात्रा जैसे है , कुछ भी जादू जैसा नहीं , अनुभव जैसा है , तरंगित ऊर्जाओं को भी अच्छा लगता है यदि उनको अपना पक्ष सही रूप से कहने का अवसर मिले , लम्बे समय के अंतराल के कारण जो उनके द्वारा निर्मित विचारों पे धुल जमा हो गयी है उनको साफ़ करने का उनको अवसर मिलता है , ये उन ऊर्जाओं को भी अच्छा लगता है।

Om Pranam

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