यदि तुम्हें सदा प्रसन्नचित्त, मस्त और चिन्तामुक्त
रहना है तो जीवन में आने वाले सभी परिवर्तनों को स्वीकार करना होगा। जीवन एक प्रवाह है, परिवर्तनशीलता उसका मूल गुण है लेकिन तुम्हारी समस्या यह है कि तुम परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते। जीवन का असली दुख यह है कि जो रुकता नहीं है, उसे तुम रोकना चाहते हो। जैसे तुम जवान हो, तो तुम सदा जवान रहना चाहते हो। चूंकि यह हो ही नहीं सकता, इसलिये तुम दुखी होने वाले हो। तुम चाहते हो जो तुम्हें प्यार करता है, वह हमेशा उतना ही प्यार करता रहे...... यदि तुम्हारी इच्छा है कि मुहब्बत का ये लम्हा, ये हसीन पल बस यूं ही ठहरा रहे तो तुम बड़े उपद्रव, बड़ी समस्या में पड़ने वाले हो। यह आशा अस्वाभाविक है। यह आशा तुम्हारे विकास को अवरुद्ध कर देगी.......... सुख के क्षणों को रोकने की यह उम्मीद तुम्हारे जीवन-पुष्प को अपनी पूर्णता में नहीं खिलने देगी। यदि आत्म विकास करना है, आनंदित रहना है तो बदलावों को स्वीकार करना ही होगा। ध्यान तुम्हें बहुत मदद देगा.......ध्यान तुम्हें वह साहस, वह पौरुष देगा कि तुम जिंदगी के बदलावों को मजे के साथ स्वीकार कर
सको।
osho
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