जब भी पृकृति हमको किसी गहरे अनुभव से गुजरने के लिए तैयार करती है घटना के उपस्थित होते ही हम क्यूँ चूक जाते है ? कभी विचार किया है !
*क्यूंकि हम डर जाते है
*क्यूंकि हमारेअंदर छलांग लगाने का साहस नहीं
*क्यूंकि हम ह्रदय नेत्र खोल ही नहीं पाते
अबकी बार जब भी पृकृति कि कृपा हो और वो आपको सुअवसर प्रदान करे तो चूकना नहीं .
*क्यूंकि हम डर जाते है
*क्यूंकि हमारेअंदर छलांग लगाने का साहस नहीं
*क्यूंकि हम ह्रदय नेत्र खोल ही नहीं पाते
अबकी बार जब भी पृकृति कि कृपा हो और वो आपको सुअवसर प्रदान करे तो चूकना नहीं .
No comments:
Post a Comment