Tuesday, 24 December 2013

ध्यानी और ध्यान -Note


ध्यानी तो अपना मालिक है राजा है और फ़क़ीर है न कब्ज़ा करता है और न करने देता है। 

" खिलता खिलखिलाता रहता है तू
अपनी मौज में बहता है तू
कुछ कुछ मेरे जैसा है तू ........

गुनगुनाता गाता हँसता हंसाता तू
अपनी मौज में बहता है तू
कुछ कुछ मेरे जैसा है तू ....... "

ध्यान अन्तस्तम् को सरल बनाने कि अद्भुत प्रक्रिया है , जो स्वयं के _ स्वयं से टूटे तारो को जोड़ने का कार्य करता है। ध्यानी सहज , सरल , और द्वेष से मुक्त हो जाता है , अध्यात्मिक सच्चाई के धरातल पर , हर सांसारिक प्रक्रिया के दोष साफ़ होने लगते है। यही समझ निर्मलता का सोता स्वयं के ह्रदय में फोड़ती है और मीठा जल बहना शुरू हो जाता है। ध्यानी स्वयं का मालिक हो जाता है , संसार की सांसारिकता को उसका आखिरी सलाम ही उसकी विजय यात्रा की शुरुआत है।

ध्यानी किसी भी प्रचलित सामाजिक धर्म नीति और राज नीति से मुक्त हो जाता है ; हो ही जाएगा. धर्म नीति का अर्थ है : प्रतिस्पर्धा, जलन, ईर्ष्या । राज नीति का अर्थ है : ज़माने भर की चालबाजिया, ज़माने भर की चोरबाजारिया, ज़माने भर की बेईमानिया , दुसरे पर कब्ज़ा करने की कोशिश। तरीके और नीतियाँ देना दोनों का ही प्रमुख धार्मिक राजनैतिक कृत्य है।












Om pranam

No comments:

Post a Comment